idea utkarsh ka
my mind is full of so many unsaid thoughts...
Tuesday, 14 April 2015
जिन्दगी अपनी ..
किताब लेकर...
रोज मैं ढूँढता हूँ जवाब.....
जिंदगी है क़ि रोज...
'सिलेबस' के बाहर से ही पूछती है..
Sunday, 12 April 2015
पर कभी...
कभी रोता हूँ, वो किसी को दिखाई
नही देता....
.
कभी चिंतित रेहता हूं, कोई परवाह नही करता....
.
कभी मायूस होता हूं, कोई पूछने तक नही आता....
.
पर जब कभी समोसे की दुकान पर अकेला खाने
बैैठ जाता हूँ, कोई ना कोई चला
ही आता है....
.
क्यों भैया, अकेले अकेले??
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