Friday, 4 September 2015

बारिस

आसमान पर छाई है काली घटाएँ
सूरज भी जा छुपा है बादलों के साये

तेज बहती पवन और पत्तों की सरसराहट
लगती है ऐसे जैसे हो तूफ़ान की आहट

चकाचौंध रौशनी सी बिजली की चमक
बादलों की गडगडाहट और बूंदों की धमक

पहली बारिस की बुँदे मिट्टी की सौंधी महक
सुखी तरसती धरती उठी है चहक

कभी रिमझिम फुहार तो कभी मूसलाधार
कभी थम के बरसता है तो कभी लगातार ......

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