Wednesday, 14 October 2015

एक दोस्त..

सुख-दुख के अफसाने का,
ये राज है सदा मुस्कुराने का,
ये पल दो पल की रिश्तेदारी नहीं,
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का,
जिन्दगी में आकर कभी ना वापस जाने का,
ना जानें क्यों एक अजीब सी डोर में बन्ध जाने का,
इसमें होती नहीं हैं शर्तें,
ये तो नाम है खुद एक शर्त में बन्ध जाने का,

ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का
दोस्ती दर्द नहीं रोने रुलाने का,
ये तो अरमान है एक खुशी के आशियाने का,
इसे काँटा ना समझना कोई,
ये तो फूल है जिन्दगी की राहों को महकाने का,
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का,
दोस्ती नाम है दोस्तों में खुशियाँ बिखेर जाने का,
आँखों के आँसूओं को नूर में बदल जाने का,
ये तो अपनी ही तकदीर में लिखी होती है,
धीरे-धीरे खुद अफसाना बन जाती है जमाने का,

ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का,
दोस्ती नाम है कुछ खोकर भी सब कुछ पाने का,
खुद रोकर भी अपने दोस्त को हँसाने का,
इसमें प्यार भी है और तकरार भी,

दोस्ती तो नाम है उस तकरार में भी अपने यार को मनाने का,
ये तो फ़र्ज है उम्र भर निभाने का

बरिश की मस्ती

रिमिझम-रिमिझम बारिश आई
काली घटा फिर है छाई
सड़कों पर बह उठा पानी
कागज़ की है नाव चलानी
नुन्नू मुन्नू चुन्नू आए
रंग बिरंगे छाते लाए
कहीं छप-छप कहीं थप-थप
लगती कितनी अच्छी टप-टप
बारिश की मौज मस्ती है
हो चाहे कल छुट्टी है । 

कितनी बड़ी दिखती होंगी..

कितनी बड़ी दिखती होंगी मक्खी को चीजें छोटी
सागर सा प्याला भर जल पर्वत सी एक कौर रोटी।
खिला फूल गुलदस्ते जैसा कांटा भारी भाला सा
तालों का सूराख उसे होगा बैरगिया नालासा।
हरे भरे मैदानों की तरह होगा इक पीपल का पात
पेड़ों के समूहसा होगा बचा खुचा थाली का भात।
ओस बूंद दरपनसी होगी सरसो होगी बेल समान
सांस मनुज की आंधीसी करती होगी उसको हैरान

Thursday, 8 October 2015

बचपन..

छीनकर खिलौनो को बाँट दिये गम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम...

अच्छी तरह से अभी पढ़ना न आया
कपड़ों को अपने बदलना न आया
लाद दिए बस्ते हैं भारी-भरकम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम...

अँग्रेजी शब्दों का पढ़ना-पढ़ाना
घर आके दिया हुआ काम निबटाना
होमवर्क करने में फूल जाये दम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम...

देकर के थपकी न माँ मुझे सुलाती
दादी है अब नहीं कहानियाँ सुनाती
बिलख रही कैद बनी, जीवन सरगम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम...

इतने कठिन विषय कि छूटे पसीना
रात-दिन किताबों को घोट-घोट पीना
उस पर भी नम्बर आते हैं बहुत कम
बचपन से दूर बहुत दूर हुए हम...